
चलो चलें श्री अयोध्या धाम
05 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक श्री अयोध्या धाम में होगा भव्य कार्यक्रम


51 कुण्डीय
श्री राम महायज्ञ शाला निर्माण एवं पूजन हवन सामग्री हेतु अनुमानित राशि 11,00,000 /-
आप अपनी समर्थ के अनुसार सेवा राशि दान सकते है
नोट:- आप अपनी समर्थ के अनुसार भंडारे में दान कर सकते है अधिक राशि न होने पर आपका अंश दान मात्र भी पूर्ण दान के बराबर है ,
अन्न दान महादान
अयोध्या धाम में होने जा रहा है भव्य श्री राम महायज्ञ दिनांक 05 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक श्रीमद् जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री श्री वल्लभाचार्य जी महाराज जी के सानिध्य में,
पता:- श्री रामहर्षणम् चारुशीला मंदिर जानकीघाट अयोध्या धाम


रामार्चा महायज्ञ का महत्व:
रामार्चा जी, एक दिवसीय महायज्ञ है , रामार्चा पूजा या श्री रामार्चा महायज्ञ, भगवान राम और उनके परिवार के सम्मान में किया जाने वाला एक पवित्र हिंदू अनुष्ठान है. यह पूजा, विशेष रूप से, भगवान श्री राम के जीवन की शिक्षाओं का सम्मान करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है. भक्त की सारी इक्षायें पूर्ण होती है पुत्र, धन , की प्राप्ति सभी प्रकार के ग्रहों की समस्या निदान होता है,
रामार्चा पूजा क्या है?
रामार्चा पूजा, भगवान श्री राम के प्रति समर्पण का एक रूप है, जिसमें रामार्चा महायज्ञ , में श्री राम जी के सभी परिकरों एवं आवाहित देवताओं का पूजन होता है , राम धुन के साथ पूजा एवं सीताराम जी को विशिष्ट भोग लगाया जाता है रामार्चा के महाप्रसाद की महिमा दस हजार अश्वमेध यज्ञ से अधिक है ,
यह पूजा, भगवान श्री राम के आदर्शों, जैसे कि सत्य,धर्म,और न्याय का पालन करने के महत्व को दर्शाती है.
रामार्चा महायज्ञ , भक्त भगवान श्री राम के साथ-साथ उनके भक्तों और समस्त परिकरों की पूजा जैसा कि हनुमान, विभीषण, अंगद, और जाम्बवंत की भी पूजा करते हैं.
रामार्चा पूजा का महत्व:
रामार्चा पूजा को, हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर फल देने वाला माना जाता है.
यह पूजा, भक्तों के सभी पापों को नष्ट करने, कष्टों से मुक्ति दिलाने, और शांति, समृद्धि, और शक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती है.
रामार्चा पूजा, भक्तों को मोक्ष के मार्ग पर ले जाने वाली मानी जाती है.
रामार्चा पूजा, सभी जाति और वर्गों के लोगों के द्वारा की जा सकती है. यह पूजा, भगवान श्री राम के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, तथा भक्तों को उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्रदान करती है. ......


श्रीमद्भागवत कथा
श्रीमद्भागवत कथा, जिसे भागवत पुराण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिसमें भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनकी लीलाओं का वर्णन है। यह पुराण 12 स्कंधों (भागों) में विभाजित है, जिसमें 335 अध्याय और 18,000 श्लोक हैं। श्रीमद्भागवत कथा का पाठ और श्रवण भक्ति का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है और इसे सुनने से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
श्रीमद्भागवत कथा का संक्षिप्त परिचय:
श्रीमद्भागवत कथा, जिसे भागवत पुराण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह 18 पुराणों में से एक है और इसे वेद व्यास जी ने लिखा था। श्रीमद्भागवत कथा में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनकी लीलाओं का वर्णन है। इस कथा में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, कर्मयोग, और समाजधर्म जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रकाश डाला गया है।
कथा का महत्व:
यह पुराण न केवल भगवान के विभिन्न अवतारों की कथाएँ सुनाता है, बल्कि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, कर्मयोग, और समाजधर्म जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रकाश डालता है।
कथा वाचन:
श्रीमद्भागवत कथा का वाचन और श्रवण दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, और इसे सुनने से पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है,
ज्ञान का भंडार:
श्रीमद्भागवत पुराण को "परमहंस संहिता" भी कहा जाता है, और इसे वेदों का सार माना जाता है,
भगवान विष्णु के अवतार:
श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन है, जिनमें से कृष्ण का चरित्र प्रमुख है।
श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन:
श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन अक्सर 7 दिनों तक किया जाता है। यह कथा भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर होता है, इस कथा को सुनने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों को आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है,


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