पूज्य गुरुदेव के संकल्प

जो व्यक्ति स्वयं के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए जीवन समर्पित करे — जो अपना समूचा समय मानव सेवा और सनातन धर्म के उत्थान में अर्पित कर दे — ऐसे महान संत का इस धरती पर होना हमारे लिए गर्व की बात है।

पूज्य गुरुदेव के संकल्पों ने मानव कल्याण की परंपरा को एक नई दिशा और पहचान दी है।
वे ना कभी जाति देखते हैं, ना धर्म, और ना ही किसी समुदाय का भेद करते हैं।
उनके लिए सेवा ही धर्म है और मानवता ही पूजा।

आइए, हम उनके इन प्रेरणादायक संकल्पों को जानें और उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें।
ऐसे संत को शत् शत् नमन।

गौ रक्षा गौ सेवा हमारा कर्तव्य है

हमारे देश में गाय को माता के समान पूजनीय माना जाता है। इसी सम्मान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए पूज्य गुरुदेव ने एक प्रेरणादायक नारा दिया है – “गौशाला नहीं उपाय, एक हिन्दू एक गाय”।
जगद्गुरुदेव भगवान् का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति स्वयं गाय नहीं पाल सकता, तो वह अपने आसपास किसी गरीब व्यक्ति की सहायता कर सकता है जो गाय पाल रहा हो। आप हर महीने उस व्यक्ति को कुछ धनराशि देकर न केवल एक गाय के पालन-पोषण में सहयोग कर सकते हैं, बल्कि उस परिवार को भी सहारा दे सकते हैं जो उस गाय के दूध से अपनी आजीविका चला रहा है।.

सीता रसोई अन्नक्षेत्र ( अन्नपूर्णा )

पूज्य जगद्गुरुदेव भगवान् का यह दृढ़ संकल्प है कि अयोध्या धाम पर आने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा न लौटे। इसी उद्देश्य से धाम में अन्नपूर्णा रसोई की शुरुआत की गई है, जहाँ प्रतिदिन हज़ारों श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था की जाती है।
विशेष बात यह है कि अन्नपूर्णा रसोई की संपूर्ण व्यवस्था आश्रम में चढ़ाई जाने वाली चढ़ोत्री के आधे हिस्से और श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान से की जाती है।

पूज्य जगद्गुरु देव भगवान् का संकल्प है कि भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार विश्वभर में हो। इसी उद्देश्य को साकार करने के लिए अयोध्या धाम एवं खजुहा धाम के प्रांगण में वैदिक गुरुकुल की स्थापना की है।
इस गुरुकुल में बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ वैदिक ज्ञान, संस्कार और धर्म की गहराई से शिक्षा दी जाएगी, ताकि वे ज्ञानवान और संस्कारित नागरिक बन सकें।

श्री राम हर्षण वैदिक गुरुकुलम्

आइए आप भी पूज्य महाराजश्री के संकल्पों को पूरा करने में उनके सहभागी बनें ताकि मानवता जीवित रहे और सनातन धर्म की जय जयकार होती रहे।