प्रेमावातर स्वामी श्री राम हर्षण दास जी महाराज

श्री राम हर्षण दास जी, जिन्हें भक्तवृंद "प्रेमावतार पंचरसाचार्य करुणा वरुणालय" जैसे विशेषणों से संबोधित करते हैं, स्वामी जी का जन्म 25 मई 1917 को विंध्यक्षेत्र, रीवा राज्य (वर्तमान मध्य प्रदेश के सतना जिला वर्त्तमान जिला मैहर ) अहिरगाँव से 8 km. अंदर पोंडी धाम में हुआ था. जन्म लेते ही उनके मस्तक पर उर्ध्वपुंड्र रामानंदी तिलक अंकित था , जिसके कारण बालक का नाम तिलकधारी प्रसाद त्रिपाठी रखा गया, वे श्री जानकी जी के अग्रज श्री जनक सुनैना जी के दुलारे लाल श्री प्रेम मूर्ति लक्ष्मीनिधि जी के अवतार माने जाते हैं. उन्होंने संत साहित्य, भक्ति साहित्य, श्रीराम कथा एवं श्री सीताराम भक्ति रसोपासना से संयुक्त अनेक ग्रंथों की रचना की

संक्षिप्त जीवन परिचय:

  • जन्म:

    25 मई 1917, पोंड़ी धाम ( कला ) ग्राम, मैहर, सतना, मध्य प्रदेश.

  • पारिवारिक पृष्ठभूमि:

    माता-पिता दोनों रामभक्त थे, पिता का नाम पं. रामजीवन शरण त्रिपाठी और माता का नाम रानी जी था.

  • शिक्षा:

    संस्कृत का तीन वर्ष तक अध्ययन किया और फिर वहीं अध्यापन भी किया.

  • दीक्षा:

    संत वेश में दीक्षा प्राप्त की, नाम तिलकधारी से श्री रामहर्षण दास जी हुआ.

  • कृतियाँ:

    प्रेम रामायण, लीला सुधा सिंधु, प्रस्थान त्रयी (गीता, उपनिषद, ब्रह्मसूत्र) पर भाष्य, वैष्णवीय विज्ञान, प्रपत्ति दर्शन, विनय वल्लरी, प्रेम वल्लरी, विरह वल्लरी सहित 33 ग्रंथ.

  • लोकविलक्षण कार्य:

  • मायाग्रस्त, कुटिल न जाने कितने कुपथ गामीयों को श्री राम मंत्र प्रदान कर भगवतभक्ति के संस्कार जागृति कर भवसागर से पार किया. भक्ति साहित्य का अद्भुत सृजन . शिष्यों द्वारा संतलीला और रामलीला का मंचन करवाया.

  • अन्य:

  • अनुभवी भक्तों का मानना है कि वे श्री जानकी जी के अग्रज श्री जनक सुनैना जी के दुलारे लाल श्री प्रेम मूर्ति लक्ष्मीनिधि जी के अवतार थे.

  • न जाने कितनी बार भक्तो को उनके शरीर में श्री राम नाम और स्वयं श्री राम मन्त्र के प्रत्यक्ष दर्शन किये,यहा तक की कई भक्तो को पूज्य स्वामी जी में श्री सीताराम जी के युगल छवि के दर्शन हुए,
    महाप्रभु गौरांग देव निरंतर प्रेम वैलक्षणा भक्ति से ओतप्रोत होकर भगवद् विरह में डूबे रहते थे,
    उन्हें कण -कण में श्री सीताराम जी का दर्शन होता रहता था

    खजुहा धाम में 13करोड़ श्री राम मंत्र का पुरस्चरण कई बार किया.
    ​श्री सीताराम विवाहोत्सव समैया पोंडी धाम में 17 वर्ष की अवस्था में अपनी बहन सीता जी के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जो अभी भी द्वतीय से सप्तमी पर्यंत अगहन ( मार्ग शीर्ष )
    ​विशेष :-
    ​स्वामी जी के विषय में अधिक जानकारी के लिए श्री राम हर्षणायनम् , श्री राम हर्षण लीला पीयूष ,
    ​चारधाम यात्रा का अध्ययन करें \

जीवन परिचय

श्री मद् रामहर्षण दास जी महाराज के अनमोल साहित्य

जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री वल्लभाचार्य जी महाराज

जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी श्री वल्लभाचार्य जी महाराज

देवर्षि शिखर सम्मान से सम्मानित अनन्त श्री विभूषित पंचरसाचार्य प्रेमावतार स्वामी श्री रामहर्षणदास जी महाराज उन्हीं परम प्रभु के कृपा पात्र रामानन्दाचार्य परम्परा के अन्तर्गत आचार्य अनंत श्री समलंकृत स्वामी श्री वल्लभाचार्य जी महाराज का पूर्व नाम रघुवंश कुमार मिश्र था , जिनका जन्म 1976 में सतना जिला ( वर्तमान जिला मैहर ) के पौड़ी ग्राम में हुआ। आपके पिता श्री कौशलप्रसाद मिश्र एवं माता श्रीमती रामरती देवी जिनके दिव्य संस्कार के फलस्वरूप 28 मई प्रातः 10 बजे माता श्रीमती रामरती देवी ने एक दिव्य बालक को जन्म दिया। आप श्री बाल्यकाल से ही रामप्रेम रसोंमत्त रहा करते थे। बालक की बालसुलभ लीला भी अपने इष्ट के आसपास उनसे जुड़ी दिखाई देती थी। अपने छोटे से ठाकुरजी की सेवा-अर्चना, भोग, उन्हीं से खेलना, उन्हीं से लड़ना, अपने प्राणसखा के रूप में श्रीराम जी को सदा सर्वदा देखा करते थे और श्री रामप्रेम में ही निमग्न रहा करते थे । आपश्री को जन्मतः सत्संग, भजन, कीर्तन का लाभ प्राप्त हुआ क्योंकि आपकी माताजी अनन्त श्री विभूषित स्वामी श्री रामहर्षणदास जी महाराज की पुत्री हैं। आपके घर में ठाकुर जी का दिव्य मंदिर है । जहाँ भगवान के सभी दिव्य महोत्सव मनाये जाते हैं जिसमें सन् 1933 से श्री सीताराम विवाहोत्सव समैया का कार्यक्रम चलता आ रहा है जहाँ देश के कोने-कोने से संत भक्तगण, अगहन शुक्लपक्ष द्वितीया से सप्तमी तक के लिए यहाँ आते हैं और श्री सीताराम विवाहोत्सव समैया का दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं। सन 1996 में आपने गृह त्याग कर प्रवल वैराग्य में स्वामी श्री राम हर्षण दास जी महाराज से विरक्त वेश धारण किया साधना में रत रहते हुए गुरु आज्ञा के अनुसार राम भक्ति का प्रचार कर करोड़ों भक्तों को भगवद्मार्ग में लगाया श्री राम मंत्र की दीक्षा दे , श्री राम जी की शरणागति प्रदान की ,

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